कुंडली में भकूट क्या होता है?
नाड़ी दोष के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के बाद आइए अब देखें कि भकूट दोष क्या होता है। यदि वर-वधू की कुंडलियों में चन्द्रमा परस्पर 6-8, 9-5 या 12-2 राशियों में स्थित हों तो भकूट मिलान के 0 अंक माने जाते हैं तथा इसे भकूट दोष माना जाता है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि वर की जन्म कुंडली में चन्द्रमा मेष राशि में स्थित हैं।
भकूट कितने होते हैं?
कुण्डली में गुण मिलान के लिए अष्टकूट(Ashtkoot) से विचार किया जाता है इन अष्टकूटों में एक है भकूट (Bhakoot)। भकूट अष्टकूटो में 7 वां है,भकूट निम्न प्रकार के होते हैं. ज्योतिष के अनुसार निम्न भकूट अशुभ (Malefic Bhakoota) हैं. शेष निम्न तीन भकूट शुभ (Benefic Bhakoota) हैं.
कुंडली मिलान में नाड़ी दोष का क्या महत्व है?
कुंडली मिलान की प्रक्रिया के दौरान मंगल दोष या अन्य ग्रह जनित दोष तो देखे ही जाते हैं, एक सबसे बड़ा दोष जो माना जाता है, वह है नाड़ी दोष। ब्राह्मण और वैश्यों में नाड़ी दोष को मंगल दोष के समान ही महत्वपूर्ण माना जाता है और यदि यह दोष भावी वर-वधू के गुण मिलान में पाया जाता है तो वह विवाह नहीं किया जाता है।
गण दोष क्या है?
Kya hai gan dosh | क्या है गण दोष? अपने स्वभाव का पता चलता हे जैसे जो व्यक्ति जिस प्रवृत्ति का होता है जिस स्वभाव का होता हे उसी मे ही उसका मन लगता है। इसके विपरीत यदि किसी का विवाह देव गण और राक्षस घर में होता है तो उन दोनों का वैवाहिक जीवन कभी सुख से नहीं बीतेगा हमेशा झगड़े होते रहेंगे।
नाड़ी दोष का परिहार क्या है?
नाड़ी दोष परिहार १. विशाखा, अनुराधा, घनिष्ठा, रेवती, हस्त, स्वाती, आद्रा, पूर्वाभाद्रपद इन 8 नक्षत्रों में से किसी भी नक्षत्र में वर, कन्या या दोनों में से एक का ही जन्म हो तो विवाह शुभ होता है अर्थात नाड़ी दोष का परिहार हो जाता है।
भकूट दोष कैसे दूर करे?
इसके अतिरिक्त अगर दोनो कुंडलियों में नाड़ी दोष न बनता हो, तो भकूट दोष के बनने के बावजूद भी इसका असर कम माना जाता है। वर-वधू दोनों के लिए महामृत्युंजय का जाप करवायें एवं गाय का दान करें । गुरुवार का व्रत रखें। प्रतिदिन केले के वृक्ष पर हल्दी डालकर जल चढ़ाएं।
36 गुण कौन कौन से है?
कुंडली में मुख्य रूप से 8 चीजों का मिलान होता है जैसे गण, ग्रहमैत्री, नाड़ी, वैश्य, वर्ण, योनी, तारा और भकूट इन्हीं सब को मिलाकर कुल 36 गुण बनते हैं।
नाड़ी दोष का निवारण क्या है?
नाड़ी दोष का प्रभाव कम करने के लिए किसी ब्राह्मण को गोदान या स्वर्णदान करना चाहिए। इसके अलावा सालगिराह पर अपने वजन के बराबर अन्न दान करना चाहिए। साथ ही ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करना चाहिए। (नोट- कोई भी दान या पूजा कार्य किसी ज्योतिषी की सलाह से और उनके मार्गदर्शन में ही करें।)
नाड़ी दोष का क्या उपाय है?
-पीयूष धारा के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के विवाह में नाड़ी दोष बाधा वन रहा है तो उसे स्वर्ण दान, वस्त्र दान, अन्न दान करना चाहिए। सोने से सर्प की आकृति बनाकर, उसकी विधि पूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा करके महामृत्युंजय मंत्र का जप कराने से नाड़ी दोष शांत होता है।
गण दोष कब लगता है?
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब वर और कन्या दोनों के नक्षत्र एक नाड़ी में हों तब यह दोष लगता है। सभी दोषों में नाड़ी दोष को सबसे अशुभ माना जाता है क्योंकि इस दोष के लगने से सर्वाधिक गुणांक यानी 8 अंक की हानि होती है। इस दोष के लगने पर शादी की बात आगे बढ़ाने की इजाजत नहीं दी जाती है।
नवपंचम दोष क्या है?
जब वर-वधु की चंद्र राशि एक-दूसरे से 5/9 अक्ष पर स्थित होती है तब नव पंचम दोष माना जाता है. यदि वर की राशि से कन्या की राशि पांचवें स्थान पर पड़ रही हो और कन्या की राशि से लड़के की राशि नवम स्थान पार पड़ रही हो तब यह स्थिति नव-पंचम की शुभ मानी गई है.
नाड़ी दोष कब नहीं लगता?
2/6नक्षत्रों में ऐसा होने पर नहीं माना जाता नाड़ी दोष -यदि दोनों की जन्मराशि एक हो और नक्षत्र अलग-अलग हों तो वर-वधू की नाड़ी एक होने के पश्चात भी नाड़ी दोष नहीं बनता। -दोनों का जन्म नक्षत्र एक हो और लेकिन जन्म राशियां अलग-अलग होने पर वर-वधू की नाड़ी एक होने के पश्चात भी नाड़ी दोष नहीं बनता।
कौन से नक्षत्र में नाड़ी दोष नहीं लगता?
यदि संभावित वर और वधू का जन्म नक्षत्र समान हो, लेकिन दोनों के चरण अलग-अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं लगता है। यदि दोनों की राशि समान हो, लेकिन जन्म नक्षत्र अलग-अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं लगता है। यदि दोनों के जन्म नक्षत्र समान हों, लेकिन राशि अलग-अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं लगता है।
नाड़ी दोष का क्या अर्थ है?
गुण मिलान की प्रक्रिया में बनने वाले दोषों में से एक है नाड़ी दोष जिसे सबसे अधिक अशुभ दोष माना जाता है तथा अनेक वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि कुंडली मिलान में नाड़ी दोष बनने से निर्धनता आना, संतान न होना और वर अथवा वधू दोनों में से एक अथवा दोनों की मृत्यु हो जाना जैसी भारी विपत्तियों का सामना करना पड़ सकता है।
नाड़ी दोष का क्या प्रभाव होता है?
नाड़ी दोष का प्रभाव -अगर वर और वधू की नाड़ी आदि हो और उनका विवाह कर दिया जाता है तो ऐसा वैवाहिक संबंध लंबे समय तक नहीं चलता है और किसी न किसी कारण विवाह विच्छेद हो जाता है। -अगर वर और वधू की कुंडली में मध्य नाड़ी हो और उनका विवाह कर दिया जाता है तो किसी घटनाक्रम या हादसे में दोनों की मृत्यु होने की आशंका रहती है।
नाड़ी दोष कब नहीं माना जाता?
नक्षत्रों में ऐसा होने पर नहीं माना जाता नाड़ी दोष- 1. अगर लड़का-लड़की दोनों का जन्म एक ही नक्षत्र के अलग-अलग चरणों में हुआ हो तो नाड़ी दोष नहीं माना जाता है। 2. अगर दोनों की जन्म राशि एक हो और नक्षत्र अलग-अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं माना जाता है।
गण कैसे मिलते है?
गण : गण का संबंध व्यक्ति की सामाजिक स्थिति को दर्शाता है। गण 3 प्रकार के होते हैं- देव, राक्षस और मनुष्य। 7. भकूट : भकूट का संबंध जीवन और आयु से होता है।
नाड़ी दोष कैसे कटता है?
नाड़ी दोष को निम्नलिखित स्थितियों में निरस्त माना जाता है -यदि वर-वधू दोनों का जन्म एक ही नक्षत्र के अलग-अलग चरणों में हुआ हो तो वर-वधू की नाड़ी एक होने के पश्चात भी नाड़ी दोष नहीं बनता। -यदि वर-वधू दोनों की जन्म राशि एक ही हो किन्तु नक्षत्र अलग-अलग हों तो वर-वधू की नाड़ी एक होने के पश्चात भी नाड़ी दोष नहीं बनता।